बर्बादियों को मेरी, बेहिसाब सहन कर आया हूं, बहरूपिया हूं, हंसने का नकाब पहन कर आया हूं। मुस्कुराने पर ना जाना मेरे, कमाल हूं मैं ग़म छिपाने में, हंसते हंसते मेरे इश्क को जनाब, दफन कर आया हूं।। दफन कर आया हूं अरमानों को, वक्त के ताबूतों तले, अब न उम्मीदें हैं, न शिकवे हैं, नहीं किसी से गिले। जला अपने इश्क की किताब, घर उनका रौशन कर आया हूं। हंसते हंसते इस तरह मेरे इश्क को जनाब, दफन कर आया हूं।। रोना भी एक तरीका है, दिल को बहलाने के लिए, खेल मज़ेदार है ये बोहोत, खुद को समझाने के लिए। मयखानों से सारी शराब, गबन कर आया हूं, आंसूओं से मिटा हर एक ख्वाब,जिंदगी में अकेलापन कर आया हूं, सरफिरा हूं मैं, फिर एक बार पागलपन कर आया हूं। हंसते हंसते यूं मेरे इश्क को जनाब, दफन कर आया हूं। #shaayavita #dafan #adhurapan #soonapan #paagalpan #nakaab