Nojoto: Largest Storytelling Platform

मैं तो कवि हूं मेरा क्या....... हर मौसम मुझमें रहत

मैं तो कवि हूं मेरा क्या.......
हर मौसम मुझमें रहता है
ना जानें क्या क्या कहता है
मैं तो कवि,.....
शब्दों की लड़ियां पिरोता हूं
औरों की नीदें सोता हूं
ऊपर से सूखा दिखता है
अंदर में सागर बहता है
मैं तो कवि हूं .......
उनके मन की रचता हूं
इनके मन का कहता हूं
इसी में अपना जीवन गुजरा 
शब्दों संग खूब सुबकता हूं
मैं तो कवि हूं......
शब्दों की अजब है गहराई
मैं घूमूं बनकर परछाई
मैं "सूर्य" हूं उगता शब्दों संग
और शब्दों संग ही ढलता है
मैं तो कवि......

©R K Mishra " सूर्य "
  #कवि