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तड़के उठ का चल पड़ा म देखा खूब नज़ारा सूरज की पहली

तड़के उठ का चल पड़ा म देखा खूब नज़ारा
सूरज की पहली किरण थी
जगमग होगा जग सारा
ताऊ के होके की आवाज़ मधुर लगे थी
ताई का बालका न डाटना
रंग बिरंगी ड्रेस में बालक स्कूल जा थे
कुछ मने मार गया इस मरजानी का हासना
मोर नाचे थे जंगल म
बंदरों का पेड़ो प भागना
मधुर पल थे सारे जितने देखे
अच्छा लगा मने सुबह जल्दी जागना
मज़ा आया जब चाय पी गरम गरम मा के हाथ की
बदला शरीर का पारा
हरियाणा में रहन का सुख ना देख्या किते और 
ना देख्या यो किते ओर नज़ारा
सबने राम राम करे सब तड़के उठ क
मुश्किल म सबका एक होजाना
जिंदगी का सुख यो ही है
बाकी तो सबका नुए चलना गुजारा B+312+884
तड़के उठ का चल पड़ा म देखा खूब नज़ारा
सूरज की पहली किरण थी
जगमग होगा जग सारा
ताऊ के होके की आवाज़ मधुर लगे थी
ताई का बालका न डाटना
रंग बिरंगी ड्रेस में बालक स्कूल जा थे
कुछ मने मार गया इस मरजानी का हासना
मोर नाचे थे जंगल म
बंदरों का पेड़ो प भागना
मधुर पल थे सारे जितने देखे
अच्छा लगा मने सुबह जल्दी जागना
मज़ा आया जब चाय पी गरम गरम मा के हाथ की
बदला शरीर का पारा
हरियाणा में रहन का सुख ना देख्या किते और 
ना देख्या यो किते ओर नज़ारा
सबने राम राम करे सब तड़के उठ क
मुश्किल म सबका एक होजाना
जिंदगी का सुख यो ही है
बाकी तो सबका नुए चलना गुजारा B+312+884

B+312+884