कोई फर्क नहीं पड़ता किसी के आने से या जाने से अब खुशियां लुटाने के लिए खज़ाना नहीं है मेरे पास... और ग़मो को ठहराने के लिए ठिकाना भी नहीं है मेरे पास... जो मुझे और मेरी ख़ामोशी को सुन सके वो ठहर जाए... क्योंकि अब कुछ सुनाने के लिए बहुत सारे शब्दों का भंडार नहीं है मेरे पास... चेतना विनय तिवारी ©Chetna Vinay Tiwari #मेरे पास