Nojoto: Largest Storytelling Platform

यूं हीं तो नहीं ये सावन भादों इतने गीले गीले होते

यूं हीं तो नहीं ये सावन भादों इतने गीले गीले होते हैं
जाने कितने ही अनकहे अहसास बारिश की बूंदों संग खुल कर रोते हैं
लब बेशक खामोश हों लेकिन
नयन कह देते हैं सारी कहानी
क्या तेरा क्या मेरा
चार दिनों की है जिंदगानी

©Sneh Prem Chand
  #Barsaat