अच्छा सुनो..... एक उम्र गुजारी है मैंने तुझे बेपनाह बेवजह ,बेहिसाब इश्क़ करते हुए क्या तुम्हे "थोड़ा सा" ही सही मोहब्बत नही रही अब हमसे.... जब तुम साथ थी मेरे "थोड़े"से ही लम्हे में ज़िन्दगी जी है कई हमने .. पता है तुम्हे ... तुम्हारे और "थोड़े"मेरे किस्सो से कहानिया बहुत बनाए है मैने.... याद है तुम्हे उन राहो पर आज भी हम बंजारों की तरह बसर करते हैं जिन पर तुम "थोड़े"देर बाद मिलने का वादा किया था हमसे.... तूम्हारे थोड़े से इश्क़ की चाह में किसी की समुन्दर भर की चाहत भुलाई थी हमने...... #मेंहदीबलरामपुरी