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दर्पण (mirror) आज सेल्फी का जमाना है.. दर्पण कौन

दर्पण (mirror)

आज सेल्फी का जमाना है..
दर्पण कौन देखता है..
इस दिखावे की दुनिया मे
लोगों का दर्द कौन देखता है..

दर्पण की बातें तो अब बस
किताबों में ही दबी हुई है..

बचपन के टेढ़े मांग वाली मुस्कुराहट
उसी दर्पण संग चली गयी है..
पापा के बाइक के आगे बैठे,
उस बच्चे की उड़ते बालों को देखने की चाहत,
उस दर्पण के संग चली गयी है..

याद है.. याद है...
साबुन के झाग से दाढ़ी बनाते थे..
उसी छोटी सी दर्पण में 
अपना प्रतिबिंब देख बड़ा मुस्कुराते थे..

याद है.. याद है...
वो क्लास की नकचढ़ी लड़की
जो अपने संग दर्पण लेकर आती थी ..
खुद का चेहरा उस दर्पण में देख बड़ा मटमटाती थी..

अब ये सारे किस्से तो मोबाइल से होने लगे है..
बचपन की मासूमियत वाली मुस्कुराहट,
लोग सेल्फी से लेने लगे है..

खैर वक़्त बदला तो दर्पण का कार्य भी बदल गया..
जो कभी चेहरा दिखाता था.
वो अब सारे जगह जरूरी समान सा हो गया..

कार,बस,ऑटो या कोई भी गाड़ी हो
हेलमेट का शीशा हो या कार्यालय का प्रवेश मार्ग हो
सब जगह दर्पण अपना चमत्कार दिखाता है..
यह सच सच हो या झूठ इसका भी ज्ञान कराता है..

मेरे लिए दर्पण तो मेरे बचपन की यादों का समुंदर है.
जिसमें मैं बिन डुबे भीग जाऊँ ये वो नम स्थान गहरा है.

आज सेल्फी का जमाना है..
दर्पण कौन देखता है..
इस दिखावे की दुनिया मे..
लोगो का दर्द कौन देखता है..
- चन्द्रसेन कोरी
@alfaaz_aye_kori #Kori #alfaazayekori #koribrother #shayarkori #koriwritesforupsc
दर्पण (mirror)

आज सेल्फी का जमाना है..
दर्पण कौन देखता है..
इस दिखावे की दुनिया मे
लोगों का दर्द कौन देखता है..

दर्पण की बातें तो अब बस
किताबों में ही दबी हुई है..

बचपन के टेढ़े मांग वाली मुस्कुराहट
उसी दर्पण संग चली गयी है..
पापा के बाइक के आगे बैठे,
उस बच्चे की उड़ते बालों को देखने की चाहत,
उस दर्पण के संग चली गयी है..

याद है.. याद है...
साबुन के झाग से दाढ़ी बनाते थे..
उसी छोटी सी दर्पण में 
अपना प्रतिबिंब देख बड़ा मुस्कुराते थे..

याद है.. याद है...
वो क्लास की नकचढ़ी लड़की
जो अपने संग दर्पण लेकर आती थी ..
खुद का चेहरा उस दर्पण में देख बड़ा मटमटाती थी..

अब ये सारे किस्से तो मोबाइल से होने लगे है..
बचपन की मासूमियत वाली मुस्कुराहट,
लोग सेल्फी से लेने लगे है..

खैर वक़्त बदला तो दर्पण का कार्य भी बदल गया..
जो कभी चेहरा दिखाता था.
वो अब सारे जगह जरूरी समान सा हो गया..

कार,बस,ऑटो या कोई भी गाड़ी हो
हेलमेट का शीशा हो या कार्यालय का प्रवेश मार्ग हो
सब जगह दर्पण अपना चमत्कार दिखाता है..
यह सच सच हो या झूठ इसका भी ज्ञान कराता है..

मेरे लिए दर्पण तो मेरे बचपन की यादों का समुंदर है.
जिसमें मैं बिन डुबे भीग जाऊँ ये वो नम स्थान गहरा है.

आज सेल्फी का जमाना है..
दर्पण कौन देखता है..
इस दिखावे की दुनिया मे..
लोगो का दर्द कौन देखता है..
- चन्द्रसेन कोरी
@alfaaz_aye_kori #Kori #alfaazayekori #koribrother #shayarkori #koriwritesforupsc