“घर वापसी” आज लौटे हो फिर अपने गांव में, गुजारे थे दिन कभी जहाँ अभाव में। पर शहर की चहकती संपूर्णता में, अब ओझल सा है गांव का गांधी। विकट स्थिति में फिर निकट आए हो, संकट में सेवा का अवसर जो लाए हो। वक्त है वनवास को वरदान बनाने का, बूढ़े घुटनों पर फिर मरहम लगाने का। बैठना फिर नीम की शीतल छांव में, नन्हे कदमों के निशान आज भी हैं। जिन्होंने कभी बोझ उठाया था तुम्हारा, खुद ठोकर खाकर ऊपर उठाया था तुझे। मुस्कान की मलमल से स्वच्छ कर अब, अतीत के आईने पर जो जमी धूल हैं।। ✍️अर्जुन प्रतापसिंह इन्दा #village #corona #COVID #एपीवाणी #City #शहर #लौट