तुम्हे तुम्हारा ग़ुरूर मुबारक़ , मैं चला मेरी ग़ैरत के रस्ते । तुम क्यों रोने लगे जो जा रहा मैं , सीने पे ज़ख्म लिए हँसते। तुम्हे #तुम्हारा #ग़ुरूर #मुबारक़ , मैं चला #मेरी #ग़ैरत के #रस्ते । तुम क्यों #रोने लगे जो जा रहा #मैं , #सीने पे #ज़ख्म लिए #हँसते। - राणा ©