चरित्र वह पाप की निशीथ में निकली हो पवित्र, पुण्य दबे पाँव छलता जहाँ मित्र! बेसुध बयार में घुलता छलका इत्र, सूँघते हैं शृगाल भोर में उसका त्रिया-चरित्र! चरित्र दिखावे की वस्तु नहीं, मन का भाव है!! #nojoto #smriti_mukht_iiha #nojotohindi