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तुम्हें जो गुमां है हस्ती पे तेरी, बच भी सकेगा,शक

तुम्हें जो गुमां है हस्ती पे तेरी,
बच भी सकेगा,शक है, वहीं वजूद।
तेरे इक गुरूर को सलाम बार-बार ,
जड़ काटते हो, जिससे हो मौजूद।
वजन है तुम्हारा, तुम्हें फिर वहम है,
चढ़े -डाल काटो , क्या मंजिले -मकसूद ?
तुम्हारे वहम,गुमान और गुरूर पे,
तरस आ रहा है, गिरावट लो जोड़के सूद।

©BANDHETIYA OFFICIAL
  #गुरूर !