नज़रों से गिरती देखी है , मैंने जब से शराफ़त उसकी । अल्लाह खैर करे अब, नहीं चाहिए रिफाकत उसकी ।। - मन्नत रिफाकत - साथ ,दोस्ती नहीं चाहिए रिफाकत उसकी