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।। ओ३म् ।। अतः समुद्रा गिरयश्च सर्वेऽस्मात्‌ स्यन

।। ओ३म् ।।

अतः समुद्रा गिरयश्च सर्वेऽस्मात्‌ स्यन्दन्ते सिन्धवः सर्वरूपाः।
अतश्च सर्वा ओषधयो रसाश्च येनैष भूतैस्तिष्ठते ह्यन्तरात्मा ॥

'उसी' से सारे समुद्र तथा ये सारे पर्वत, ये सब प्रकार की नदियाँ 'उसी' से प्रवाहित होती हैं; 'उसी' से समस्त वनस्पतियां तथा रसादि हैं जिनकी रसानुभूति से यह अन्तरात्मा भौतिक तत्त्वों के साथ निवास करती है।

From Him are the oceans and all these mountains and from Him flow rivers of all forms, and from Him are all plants, and sensible delight which makes the soul to abide with the material elements.

( मुंडकोपनिषद २.१.९ ) #मुण्डकोपनिषद #उपनिषद #पर्वत #mountains #rivers #creation #creator #Almighty
।। ओ३म् ।।

अतः समुद्रा गिरयश्च सर्वेऽस्मात्‌ स्यन्दन्ते सिन्धवः सर्वरूपाः।
अतश्च सर्वा ओषधयो रसाश्च येनैष भूतैस्तिष्ठते ह्यन्तरात्मा ॥

'उसी' से सारे समुद्र तथा ये सारे पर्वत, ये सब प्रकार की नदियाँ 'उसी' से प्रवाहित होती हैं; 'उसी' से समस्त वनस्पतियां तथा रसादि हैं जिनकी रसानुभूति से यह अन्तरात्मा भौतिक तत्त्वों के साथ निवास करती है।

From Him are the oceans and all these mountains and from Him flow rivers of all forms, and from Him are all plants, and sensible delight which makes the soul to abide with the material elements.

( मुंडकोपनिषद २.१.९ ) #मुण्डकोपनिषद #उपनिषद #पर्वत #mountains #rivers #creation #creator #Almighty