इक अरसे बाद किसी (माफ़ करिएगा किज़ि बासु) मूवी (दिल बेचारा) को देख कर आंखे नम हुईं हैं, मुझे नहीं पता कि कारण फ़िल्म की कहानी थी या सुशांत का ये दुनिया छोड़ना। पर एक बात साफ़ है बर्फ़ की तरह कि इंसान की उम्र और इंसान के काम दोनों तज़ुर्बे की तरह हैं, “उम्र घिस कर नाम कमाया जाता है”।। अगर कुछ शब्दों में कहूं, तो कहानी कुछ यूं थी, कि “डूबते हुए सूरज को इक बुझते हुए चिराग़ ने जीना सिखा दिया। दर्द में असहाय को ख़ुद के आंसू पोछना नहीं पीना सिखा दिया।।” Shivank Srivastava 'Shyamal' इक अरसे बाद किसी (माफ़ करिएगा किज़ि बासु) मूवी (दिल बेचारा) को देख कर आंखे नम हुईं हैं, मुझे नहीं पता कि कारण फ़िल्म की कहानी थी या सुशांत का ये दुनिया छोड़ना। पर एक बात साफ़ है बर्फ़ की तरह कि इंसान की उम्र और इंसान के काम दोनों तज़ुर्बे की तरह हैं, “उम्र घिस कर नाम कमाया जाता है”।। अगर कुछ शब्दों में कहूं, तो कहानी कुछ यूं थी, कि “डूबते हुए सूरज को इक बुझते हुए चिराग़ ने जीना सिखा दिया। दर्द में असहाय को ख़ुद के आंसू पोछना नहीं पीना सिखा दिया।।” #Nojoto #Movie #SushantSinghRajput #emmanualRajkumar #faultinourstars #johngreen #nojotohindi #Hindi #nojotoenglish #dilbechara