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आबरू हुई तार तार इन्सानियत शर्मशार हुई हैवानियत

आबरू हुई तार तार 
इन्सानियत शर्मशार हुई 
हैवानियत की हद है ये
जो मासूम के साथ बार बार हुई 
बहशत का ये कैसा तमाशा है
हर चेहरे पर निराशा है
खून खोलती आंँखें हैं
इंसाफ की पिपासा है 
मजह़ब हो कोई भी 
मगर पहले इंसान बनो 
सोये जमीर को जगाओ
फिर बाद में महान बनो 
दरिंदो को जला डालो 
शैतानों को न माफ़ करो 
तकरीरें देना बंद करो 
सोच पाक साफ करो  #RIPAsifa #आक्रोश #yqdidi #yqbaba #yqbhaijan #yqquotes #yqtales
आबरू हुई तार तार 
इन्सानियत शर्मशार हुई 
हैवानियत की हद है ये
जो मासूम के साथ बार बार हुई 
बहशत का ये कैसा तमाशा है
हर चेहरे पर निराशा है
खून खोलती आंँखें हैं
इंसाफ की पिपासा है 
मजह़ब हो कोई भी 
मगर पहले इंसान बनो 
सोये जमीर को जगाओ
फिर बाद में महान बनो 
दरिंदो को जला डालो 
शैतानों को न माफ़ करो 
तकरीरें देना बंद करो 
सोच पाक साफ करो  #RIPAsifa #आक्रोश #yqdidi #yqbaba #yqbhaijan #yqquotes #yqtales