कर गया वो बेखबर नाम गुंजती रही मेहफिल में मेरी ढ़ूढ-ढ़ूढ थक हारी मै मुझे , मिल पाई न मैं वहां इधर-उधर । मेरे रास्ते जुड़ गए तुमसे कुछ इस कदर गीर-गीर के सम्भलना सीख गई मैं न जाने कब किधर ? #इस तरह आशिकी का असर