Alone क्या दस्तूर है जिदंगी का कुछ घर में मजबूर है और कइ बाहर से घर आने में मजबूर है कुछ कमाकर नहीं खा प रहे हैं और कइ कमाने मे ही मजबूर है कुछ चाह के मजबूर है और कुछ बिना चाहे मजबूर है क्या करना है क्या हो जाता है जीवन मे यही तो है जीवन का दस्तूर.. 🙏सतीश गुप्ता🙏 ©satish gupta 16 मइ 2020 #alone