अमीरी फुटपाथ से अमर रही है। तना चेहरा, कंड गढ़ रही है। पैरों पे जमीन है, मन में लफड़ा। जिससे हारे ,पीने से नाउम्मीद की, वो कूप बहलने से भर रही है।। घना कोहरा ठंड बढ़ रही है गरीबी फुटपात पर मर रही है ना सर पर छत है ना तन पर कपड़ा जिसके सहारे जीने की उम्मीद थी वो धूप निकलने से डर रही है #d_thoughts #vipindilwarya #poetry #thoughts #yourquote #thoughtoftheday #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with Official Writer