मिलते ही कुछ नया एहसास लगे,तल्लुकातों से तमन्ना हुई, तमन्ना बनके एहसास रगों में दौड़ा ,एहसास फिर जज़्बात बने, जज़्बात फिर अरमान बने,अरमानों ने हकीकत का सेहरा पहना,हकीकत से रूबरू होकर,हमारे दरमियां नज़दीकियां बनी. नज़दीकियां खामोश इरादों में तब्दील हुई,तब्दीलियां कब मामूली सी दखलंअंदाज़िया लगने लगी,दखलंअंदाज़िया से बढ़ी बढ़ती गई गलतफहमियां,मोहब्बत की कशिश,फिर इन गलतफहमियों को नजरअंदाज करते हुए, फिर सुलझी, लहरों से जूझती कश्तियां,फिर एक ओर बार किनारे पर आई,कितनी हसरतों से मिले हम दो नायाब मोहब्बत के दीवाने, वो मशक्कत,वो जुनून,वो तलब,याद आते ही,हम मिले और मिलते ही रहे,हम मिले और मिलते ही रहे. ©Andaaz bayan Dil ki Baat #lovebirds sanjeev Deep maan writer