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रात के 12 बज रहे थे घड़ी का टिक टिक करके बढ़ता जा रह

रात के 12 बज रहे थे घड़ी का टिक टिक करके बढ़ता जा रहा था उस वक्त मैं अपने लैपटॉप मे ब्लॉगिंग के लिए आर्टिकल लिख रहा था। लगभग लगभग मेरा आर्टिकल पूरा हो ही चुका था  तभी मेरे दरवाजे की डोर बेल बजी मेरे मन इतनी रात को कौन आया होगा मेरे मन का वहम कहकर टाल दिया लगभग 5 मिनट बाद फिर डोर बेल बजी इस बार मेरी सांसे थम गई मैंने जैसे तैसे अपने आप को संभाला और दरवाजे की तरफ बढ़ चला मैंने दरवाजा खोला बाहर की तरफ देखा तो वहां पर कोई नहीं था फिर मैंने सोचा इसके पीछे किसी की शरारत होगी और घर के अंदर चला गया मै अपने कमरे मे घुसा ही था की फिर एक बार बेल बजी इस बार मेरा गुस्सा संतवे आसमान पर था। मैंने झट से दरवाजा खोला तो ठीक मेरे सामने मामा जी खड़े थे मैंने बोला मामाजी आप इतनी रात को उन्होंने जावब दिया बेटा ट्रेन लेट थी इसलिए आने मे देर हो गई और आने से पहले मैंने फ़ोन करने का सोचा ही था पर तुम्हे मैं सरप्राइज दूंगा ये सोचकर मैंने टाल दिया। फिर मैंने बोला अंदर चलिए रात काफ़ी हो चुकी है वो अंदर जाकर सोफे मे बैठ गए तभी मैं किचन की तरफ जाकर उनके लिए खाने का बंदोबस्त करने लगा थोड़ी देर बाद खाना तैयार हो गया और हम दोनों ने साथ मे खाना खाया और बहुत सारी बातें की रात के करीब 1बज चुके थे मैं मामाजी को good नाईट बोलकर सोने चला गया। सुबह के करीब 8बज चुके थे  तभी मेरे फ़ोन की रिंग बजी रिंग की आवाज सुन मेरी नींद खुल गई।मैंने फ़ोन उठाया और बोला कौन दूसरी तरफ मेरी माँ की आवाज आई रोते हुए उन्होंने बताया की बेटा तुम्हारे मामाजी अब नहीं रहे कल ट्रेन से गिरकर उनकी मौत हो गई ये सुनकर मेरे होश उड़ गए डर से मेरी हालत खराब हो गई मैं दौड़कर दूसरे रूम की तरफ भगा तो वहां का नजारा देखकर डर के मारे काँपने लगा।

©Manoj Vishwakarma
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