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तौहीन इश्क़ की जो करे, सुख चैन सदा वो खोये..! ऊपर

 तौहीन इश्क़ की जो करे,
सुख चैन सदा वो खोये..!

ऊपरी ऊपरी ख़ुशी दिखावे,
भीतरी मन से हरपल रोये..!

काँटे मिलें वक़्त के चाँटे मिले,
फ़सल द्वेष की जो बोये..!

ग़ुलाब की चाहत न मिले यूँ राहत,
मगरमच्छी आँसू रोये..!

चलता फिरे पथ जलता मिले,
किसी का न कभी वो होये..!

दूरी दरमियाँ बनाये सभी,
हाल-ए-दिल न पूछे कोये..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #sadak #tauheen