Balliaink नजरें बदल गयीं कि नजारे बदल गये हालात बदलते ही इशारे बदल गये बरसाती आब पाते ही दरिया मचल पड़ी मौजों में देख कश्ती किनारे बदल गये जिसको संवारा प्यार से गर्दिश के दिनों में उसके भी ताल सुर लय सारे बदल गये मामूली सी इक बात पर ज़िच जो चल पड़ी घर के दरो दीवार ओसारे बदल गये सोचा था अभी और तेरे साथ चलेंगे मौसम की तरह रुख भी तुम्हारे बदल गये वो ज़द्दोजहद में हमारे साथ हो लिये जो कलतलक थे वक्त के मारे बदल गये तय था कि भूख भय बेकारी दूर करेंगे कुरसी पकड़ते ही सभी नारे बदल गये नजारे बदल गये