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ईंगुर सी धूप थी,काजल सी छांव सपनों सा सुंदर था बचप

ईंगुर सी धूप थी,काजल सी छांव
सपनों सा सुंदर था बचपन का गांव
पगडंडियों पर अथक दौड़ते थे पांव
सपनों सा सुंदर था बचपन का गांव 
कोयल के गीत कौओं की कांव-कांव
सपनों सा सुंदर था बचपन का गांव
आम के बगीचे थे,था नहरों में बहाव
सपनों सा सुंदर था बचपन का गांव
सीधे सच्चे थे रास्ते न कोई घुमाव
सपनों सा सुंदर था बचपन का गांव
न ख्वाहिश थीं बड़ी न कोई अभाव
सपनों सा सुंदर था बचपन का गांव
जिंदगी की चौसर में कैसा लगाया दांव
एक प्यास लूट गई सपनों का गांव
खामोशी सी पसर गई ठाँव  ठाँव
एक प्यास लूट गई सपनों का गांव
किनारे पर डूब गई जीवन की नाव
एक प्यास लूट गई सपनों का गांव
सुनसान घना जंगल थक गए है पांव
एक प्यास लूट गई सपनों का गांव।

©Amar Deep Singh
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