बुलाती है मगर जाने का नई ये दुनिया है इधर जाने का नई
मेरे बेटे किसी से इश्क कर मगर हद से गुजर जाने का नई
सितारें नोच कर ले जाऊँगा मैं खाली हाथ घर जाने का नई
वबा फैली हुई है हर तरफ अभी माहौल मर जाने का नई
वो गर्दन नापता है नाप ले मगर जालिम से डर जाने का नई
#Rupesh_vishwakarma