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किनारे पर ही सही पर कश्ती में ज़रूर खड़ा हूँ, बस ए

किनारे पर ही सही
पर कश्ती में ज़रूर खड़ा हूँ,
बस एक लेहेर का इंतज़ार है,

क्या होगा थोड़ा डगमगायगी कश्ती,
तूफान ऐ समंदर भी जंग के लिए तैयार है,

अकेला हूँ सफ़र ऐ ज़िन्दगी में,
मेरा जश्न है उस पार जीत,

बस एक लेहेर का इंतजार है

©manvendra singh # manvendra singh
किनारे पर ही सही
पर कश्ती में ज़रूर खड़ा हूँ,
बस एक लेहेर का इंतज़ार है,

क्या होगा थोड़ा डगमगायगी कश्ती,
तूफान ऐ समंदर भी जंग के लिए तैयार है,

अकेला हूँ सफ़र ऐ ज़िन्दगी में,
मेरा जश्न है उस पार जीत,

बस एक लेहेर का इंतजार है

©manvendra singh # manvendra singh