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जैसे बादल बरसात का होता है जैसे जुगनू बस रात का ह

 जैसे बादल बरसात का होता है
जैसे जुगनू बस रात का होता है
जैसे ख़्वाब आँख का होता है
ऐसे ही तुम मेरे हो जाओ

जैसे दीपक बाती से पूरा होता है
जैसे ॐ से हर मंत्र पूरा होता है
जैसे संध्या-मिलन से दिन पूरा होता है
ऐसे ही तुम मुझे पूरा करने को आओ

जैसे बिन सुगंध फूल अधूरा है
जैसे बिन जिज्ञासा ज्ञान अधूरा है
जैसे बिन राधा माधव अधूरा है
ऐसे ही तुम मुझे अधूरा कर जाओ

©Prashant Shakun "कातिब"
  #बस_यूं_ही_एक_खयाल 
#प्रशांत_शकुन_कातिब