तन तुम्हारा अगर राधिका बन सके मन मेरा फिर तो धन्नशयाम हो जाएगा मेरे होंठों की बनशी जो बन जाओ तुम सारा संसार ब्राजधाम हो जाएगा तुम अगर सुर बनो राग बन जाओ मैं तुम रंगोली बनो भाग बन जाओ मैं तुम दीवाली तो मैं भी जलो दीप सा तुम तपस्या तो बेराग बन जाओ मैं नींद बनकर आ सको आंख में मेरी पलकों को आराम हो जाएगा मैं माना लूगा तुम रूठकर देख लो जोड़ लूगा तुम्हे टूटकर देख लो हूं तो नादान फिर भी मैं इतना नहीं थाम लूगा तुम्हे छूटकर देख लो मेरी धड़कन से धड़कन मिला लो जरा जो भी खास है वो आम हो जाएगा दिल के पिंजरे कुछ पालकर देखते खुद को शीशे फिर में ढालकर देखते शांति मिलती सुलगते बदन पर अगर मेरी आंखो पावन जल डालकर देखते एक बदरी बनकर बाराश दो जरा वरना सावन भी बदनाम हो जाएगा तन तुम्हारा अगर राधिका बन सके मन मेरा फिर तो धन्नशयाम हो जाएगा मेरे होंठों की बनशी जो बन जाओ तुम सारा संसार ब्राजधाम हो जाएगा तुम अगर सुर बनो राग बन जाओ मैं तुम रंगोली बनो भाग बन जाओ मैं तुम दीवाली तो मैं भी जलो दीप सा