अब याद नहीं कैसे खेली थी, तुम आओ तो, होली खेलें । फिर रंगों में भरें रंग, अंग भर भर,होली खेलें । पानी में लाएं गरमाहट, भिगो भिगो कर, होली खेलें । गुजिया की लौटाएं मिठास, ठंडाई संग , होली खेलें । पिचकारी की चोट हमारी, गुब्बारे का जोश तुम्हारा, हों हम गुत्थमगुत्था,होली खेलें । तुम आओ तो होली खेलें, तुम आओ तो,फिर होली खेलें !! - Author Vivek Sharma #holi #holispecial #festival #festivalofcolors #colours #yqbaba #yqtales #yqholi