कभी - कभी जिंदगी सर्द कोहरे की तरह ही धूमिल - धूमिल सी लगती है............ ना रास्ते दिखते हैं नि मंजिलों का ठौर बस चलते जाओ, चलते जाओ...... आखिर एक धैर्य के सहारे .............. कुछ उम्मीदो को ज़हन में रखकर कहा तक जाना है? किस हद तक हौसला अडिग रखना है? कुछ भी स्पष्ट नहीं रहता................... हां, बस खुद से ही सवाल करता हूँ ... और बस अंतरात्मा की आवाज़ को आत्मसात करके आगे और आगे... बस आगे ही जाना है। -देव फैजाबादी #poem #stories #quotes #imagation #reality