हम तो कहते हैं कि मत बनाओ महल आशाओं के हम तो कहते हैं कि मत सजाओ महल कल्पनाओं के यथार्थ की भूमि को जरा छूकर तो देखो, यह कितनी कठोर है? यह फूल सी कोमल नहीं, वज्र सी सख्त है मगर यह बात, मानो या ना मानो खुशी आपकी! हम तो कहते हैं कि सुख के दिनों में फूलो मत और दुख में कर्तव्यों को भूलो मत क्योंकि इनका तो सफ़र है जिंदगी भर का मगर यह बात, मानो या.......! हम तो कहते हैं कि बढ़ते जाओ निरंतर आगे भूल कर भी न झांको फ़िर कभी पीछे क्योंकि ऎसा करना गुनाह है दुनिया की निगाहों में मगर यह बात, मानो या.......! हम तो कहते हैं कि मन में एक पवित्र संकल्प ले कर चलो मगर रास्ते में उसकी बलीवेदी सजाने की कोशिश न करो क्योंकि सच्ची लगन को तोड़ने की मजाल नहीं इस दुनिया में मगर यह बात, मानो या........!!! #मानो या ना मानो खुशी आपकी...! #पुरानी डायरी के पन्नों से #21. 11.81#341 #newplace