पानी की बूंदों से न पूछो सहाब की वो कैसे और किस तरह से आती है,वो कभी जीवन रूपी सरल जल की तरह तो कभी सुनामी जैसा सैलाब लाती है,प्यास बुझ जाए राहगीर की तो ज़िंदगी बड़ा सुकून पाती है, पानी की बूंदे है सहाब ये तो प्यार का एहसास बताती है, कभी गम के जरिये आँशुओ से मिलाती है, कभी दो दिलो को फिर से पास लाती है, पानी की बूंदे है सहाब ये तो घर मे खुशियां लाती है,बंद कर दु आँखों को तो सुनहरे सपनो से मिलाती है,खोई हुई उमंग हमारी फिर से जगाती है,रास्ता भूल जाए तो एक रोशनी दूर कंही नजर आती है,साहस के साथ चलता हूं तो मंजिल स्वतः मिल जाती है,रुकने से भी न रुके ये मन मेरा इसमे ऐसी अलख उठ जाती है,जब तक बुलंदियों को न छू लू ये कंहा कुछ मानती है,पानी की बूंदे है सहाब इनसे न पूछो की ये कैसे और किस तरह से आती है पानी की बूंदें है सहाब ये कंहा कुछ मानती है😊😊😊😊😊😊