Nojoto प्रिय नोजोटो तुम एक किताब हो, जहां हर कवि हर दिन खुद को लिखता है थोड़ा - थोड़ा, शब्दों की माला पिरोकर कहता है कहानी जज़्बातों की, कहीं ये शब्द बनते हैं दर्द- ए- दास्तां का सहारा, तो कहीं बरसाते हैं प्रेम रूपी अमृत धारा। ©Gunjan Rajput प्रिय नोजोटो तुम एक किताब हो, जहां हर कवि हर दिन खुद को लिखता है थोड़ा - थोड़ा, शब्दों की माला पिरोकर कहता है कहानी जज़्बातों की,