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प्रिय नोजोटो तुम एक किताब हो, जहां हर कवि | Hin

Nojoto प्रिय नोजोटो तुम एक किताब हो,

जहां हर कवि हर दिन खुद को 
लिखता है थोड़ा - थोड़ा,

शब्दों की माला पिरोकर
कहता है कहानी जज़्बातों की,

कहीं ये शब्द बनते हैं 
दर्द- ए- दास्तां का सहारा,

तो कहीं बरसाते हैं 
प्रेम रूपी अमृत धारा।

©Gunjan Rajput प्रिय नोजोटो तुम एक किताब हो,

जहां हर कवि हर दिन खुद को 
लिखता है थोड़ा - थोड़ा,

शब्दों की माला पिरोकर
कहता है कहानी जज़्बातों की,
Nojoto प्रिय नोजोटो तुम एक किताब हो,

जहां हर कवि हर दिन खुद को 
लिखता है थोड़ा - थोड़ा,

शब्दों की माला पिरोकर
कहता है कहानी जज़्बातों की,

कहीं ये शब्द बनते हैं 
दर्द- ए- दास्तां का सहारा,

तो कहीं बरसाते हैं 
प्रेम रूपी अमृत धारा।

©Gunjan Rajput प्रिय नोजोटो तुम एक किताब हो,

जहां हर कवि हर दिन खुद को 
लिखता है थोड़ा - थोड़ा,

शब्दों की माला पिरोकर
कहता है कहानी जज़्बातों की,