यह दोस्ती थी दिल्लगी या कुछ और, बात कुछ समझ नहीं आई.. वह खड़ा रहा देखता उसकी नजरों के सामने से मैं चली आई .. दोस्त होता तो , पकड़ लेता हाथ बढ़कर.. मैं तो यह सोच कर उठी थी, वह जरूर रोक लेगा मुझे.. रोक लेगा मुझे