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यह दोस्ती थी दिल्लगी या कुछ और, बात कुछ समझ नहीं

यह दोस्ती थी दिल्लगी या कुछ और,
  बात कुछ समझ नहीं आई..
  वह खड़ा रहा देखता 
उसकी नजरों के सामने से मैं चली आई ..
दोस्त होता तो ,
पकड़ लेता हाथ बढ़कर..
 मैं तो यह सोच कर उठी थी,
 वह जरूर रोक लेगा मुझे.. रोक लेगा मुझे
यह दोस्ती थी दिल्लगी या कुछ और,
  बात कुछ समझ नहीं आई..
  वह खड़ा रहा देखता 
उसकी नजरों के सामने से मैं चली आई ..
दोस्त होता तो ,
पकड़ लेता हाथ बढ़कर..
 मैं तो यह सोच कर उठी थी,
 वह जरूर रोक लेगा मुझे.. रोक लेगा मुझे
anujray7003

Anuj Ray

Bronze Star
New Creator
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