रिश्ते की सिलवटें सुलझ जाती हैं बातचीत से हाँ ! मगर कुछ गाँठें जुड़ ही जाती हैं अतीत से...! दो बर्तन होंगें ना..! वो कभी न कभी भिड़ ही जाते हैं रिश्ता प्यार का हो तो भी एक दूजे से चिढ़ ही जाते हैं..! दोनों ने क़सम खाई थी कि कभी लड़ाई नहीं करेंगें फिर तेरी मेरी लड़ाई हुई मगर जगहँसाई नहीं करेंगें..! सुलझा लेते हैं ना!दोनों में जो ग़लतफ़हमी है जो अपने रिश्तों को सँभाल ले वही फ़हमी है..! ♥️ Challenge-622 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।