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खनक रहा था उसका सिक्कों से भरा खिसा, और वो कर बैठ

खनक रहा था उसका सिक्कों से भरा खिसा, 
और वो कर बैठा था गुमान,

खनक रहा था उसका सिक्कों से भरा खिसा, 
और वो कर बैठा था गुमान,

और उधर सैलाब बस आने ही को था, 
और वो चढ़ बैठा था मचान,


#8 नवंबर 2016 नोटबंदी

©Pankaj Pahwa
  #नोटबंदी