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green-leaves कुछ गेहरे अल्फज़:- तौफ़ा-ए-ज़िंदगी क

green-leaves कुछ गेहरे अल्फज़:-

तौफ़ा-ए-ज़िंदगी की रिदा क्या है? 
समझो तो दुआ, 
ना समझो तो सज़ा सा है।

मेहमान-ए-हसरत की उल्फत तो देखिये, 
बेचनियों का मंज़र, 
सासों पे हावी सा है।

तौबा-ए-तामीर तो देखिये, 
नुमाइंदगी एक जियारत सा है।

©ALFAZ DIL SE #GreenLeaves #DrDanQuote
green-leaves कुछ गेहरे अल्फज़:-

तौफ़ा-ए-ज़िंदगी की रिदा क्या है? 
समझो तो दुआ, 
ना समझो तो सज़ा सा है।

मेहमान-ए-हसरत की उल्फत तो देखिये, 
बेचनियों का मंज़र, 
सासों पे हावी सा है।

तौबा-ए-तामीर तो देखिये, 
नुमाइंदगी एक जियारत सा है।

©ALFAZ DIL SE #GreenLeaves #DrDanQuote
drdanishwarsi6870

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