अपनी हिसाब से हिसाब नहीं बनता शराब जैसा भी हो, खराब नहीं बनता जमानत दो, या मुझे रिहा करो दिल की गिरफ़्त मे, अब अपनी मिजाज़ नहीं बनता नजरों से, अदाओं से, लफ़्जों से तुम मारो मुझे दिल तोड़ने का, तेरा रिवाज़ नहीं बनता तेरे नजरों के सिवाय मैंने पढ़ा क्या है सिर्फ लिखने से ही, कोई किताब नहीं बनता उम्र के अंतिम पायदान में भी जिक्र तेरा होगा दिलों की बस्ती में, कोई विवाद नहीं बनता ©P. k. Prize #pkprize #Nojoto #nojotohindi #nojotoshayari #lovenojotofamily❤ #nojoto❤ #DesertWalk