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उसकी आंखे रोती होंगी, नित आंचल को धोती होंगी। है ल

उसकी आंखे रोती होंगी, नित आंचल को धोती होंगी।
है ललक उन्हें भी मिलने की, फिर कैसे वो सोती होंगी।
वो दिन जल्दी ही आएगा जिस दिन कलियों को खिलना है
मुझको मेरी मां से मिलना है।
मिलकर कुछ बातें करनी है, जो बातें मिलकर ही ही होंगी
बिखरी हैं मोतियां जीवन की जो मिलकर माला फिर होंगी।
माना मां तुमको सब्र नहीं तुमको गुस्सा आता होगा ।
मै फौजी हूं भारत मां का, ये डर भी तुम्हे सताता होगा।
वो जख्म नहीं भरते ऐसे उनको मिलकर ही सिलना है,
मुझको मेरी मां से मिलना है।
बोला था जल्दी आऊंगा तारीख होगी सुरूआती मार्च की,
देख देख कर राह तुम्हारी खत्म हुई रोशनी आंखो जैसी टॉर्च की
में हूं उदास मेरे आस पास मां सपनों में भी रहती है
अब फिर घर कब तुम आओगे मां सपने में भी कहती है।
क्या यूं मिलना मुमकिन होगा या फिर सपनों में चलना है
मुझको मेरी मा से मिलना है..........।

©vijay chauhan अप्रत्याशित मिलन
उसकी आंखे रोती होंगी, नित आंचल को धोती होंगी।
है ललक उन्हें भी मिलने की, फिर कैसे वो सोती होंगी।
वो दिन जल्दी ही आएगा जिस दिन कलियों को खिलना है
मुझको मेरी मां से मिलना है।
मिलकर कुछ बातें करनी है, जो बातें मिलकर ही ही होंगी
बिखरी हैं मोतियां जीवन की जो मिलकर माला फिर होंगी।
माना मां तुमको सब्र नहीं तुमको गुस्सा आता होगा ।
मै फौजी हूं भारत मां का, ये डर भी तुम्हे सताता होगा।
वो जख्म नहीं भरते ऐसे उनको मिलकर ही सिलना है,
मुझको मेरी मां से मिलना है।
बोला था जल्दी आऊंगा तारीख होगी सुरूआती मार्च की,
देख देख कर राह तुम्हारी खत्म हुई रोशनी आंखो जैसी टॉर्च की
में हूं उदास मेरे आस पास मां सपनों में भी रहती है
अब फिर घर कब तुम आओगे मां सपने में भी कहती है।
क्या यूं मिलना मुमकिन होगा या फिर सपनों में चलना है
मुझको मेरी मा से मिलना है..........।

©vijay chauhan अप्रत्याशित मिलन