टूटे हुए सपनों को लेकर, मैं कैसे जी पाऊँगी। सच कहती हूँ मैं दिलबर, जीते जी मर जाऊँगी। तू खैरख्वाह है मेरा, तो सुध भी मेरी लिया कर। वरना एक दिन दिलबर, मैं टूटकर बिखर जाऊँगी। जज्बात को काबू करना, तूने है बढ़िया सीखा। सिखा दे हुनर मुझे भी, मैं भी कुछ कर जाऊँगी। एहसास के दरिया में बहकर, मैं तेरी तो हो गई। तू मुझको छोड़ गया है, अब कैसे मैं रह पाऊँगी। है इल्म तुझे क्या इतना, मेरी हालत है कब कैसी। तन्हा रोती हूँ अक्सर, इन आँसुओं में बह जाऊँगी। मैं प्यार तुझे तो करके, अब तेरी हो चुकी हूँ। तेरे बिना मैं दिलबर, दुनिया में किधर जाऊँगी। ♥️ Challenge-585 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।