आदतन सच ही बोलता हूँ बात बनानी नहीं आती मुझको औरों की तरह बेईमानी नहीं आती ये ठीक है वक़्त दोहराता है ख़ुद को कभी-कभी वापस मगर लौटकर वो जवानी नहीं आती सिमट जाती है किस्सों में मुहब्बत की दास्तां दोहराई मगर फिर से वो कहानी नहीं जाती सँवार लेते हैं जिस्म को आईने की ख़ातिर लहू में फिर से मगर वो रवानी नहीं आती बिछड़ जाते हैं पहले प्यार के साथी अक्सर ख़तों से लेकिन ख़ुशबू वो पुरानी नहीं जाती उलझे हुए रहते हैं ज़िन्दगी में तालीम याफ्ता ज़िन्दगी आसान है ग़र वो नादानी नहीं जाती #आदतन #yqbaba #yqdidi #yqquotes