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हसरत ****** सांसे कट रही,ये बताते,बताते सपनो को ह

हसरत 
******
सांसे कट रही,ये बताते,बताते
सपनो को हकीकत बनाते बनाते
बेअदब से बाअदब हो चला हूँ मैं
हसरत में सर को झुकाते, झुकाते।

कभी शोर खुद का ही सोने ना देती
अभी थक गया,पथ बनाते, बनाते
वो सब हो हासिल,जो सपने सजाए
उलझने लगा,कांटा हटाते,हटाते।

ये पग-पग,वो दर-दर,मैं घुमा बहुत हूँ
सब्जों,में खुशियां,गिनाते,गिनाते
आशियाँ अधूरा है,अब भी मुकम्मल
ठहरने लगा,घर बसाते, बसाते।

ना साथी,ना संगदिल,ना हमदम है कोई
खुद ही जला,खुद को बचाते,बचाते
सुना है सफर,दूर तक,अब है जाना
कंही सो ना जाऊं,लोरी सुनाते, सुनाते।

चलो चल के बचपन सजाते है फिर से
कंही,रो ना जाऊं,भूलाते, भूलाते
वो गुड्डे वो गुड़िया,वो ममता की छाया
अधूरा रहा कुछ,समाते, समाते।

दिलीप कुमार खाँ"""अनपढ़"" #christmas #hindi #love #alfaz #kawita #poem
हसरत 
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सांसे कट रही,ये बताते,बताते
सपनो को हकीकत बनाते बनाते
बेअदब से बाअदब हो चला हूँ मैं
हसरत में सर को झुकाते, झुकाते।

कभी शोर खुद का ही सोने ना देती
अभी थक गया,पथ बनाते, बनाते
वो सब हो हासिल,जो सपने सजाए
उलझने लगा,कांटा हटाते,हटाते।

ये पग-पग,वो दर-दर,मैं घुमा बहुत हूँ
सब्जों,में खुशियां,गिनाते,गिनाते
आशियाँ अधूरा है,अब भी मुकम्मल
ठहरने लगा,घर बसाते, बसाते।

ना साथी,ना संगदिल,ना हमदम है कोई
खुद ही जला,खुद को बचाते,बचाते
सुना है सफर,दूर तक,अब है जाना
कंही सो ना जाऊं,लोरी सुनाते, सुनाते।

चलो चल के बचपन सजाते है फिर से
कंही,रो ना जाऊं,भूलाते, भूलाते
वो गुड्डे वो गुड़िया,वो ममता की छाया
अधूरा रहा कुछ,समाते, समाते।

दिलीप कुमार खाँ"""अनपढ़"" #christmas #hindi #love #alfaz #kawita #poem