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एक बार ऐसा व्यक्ति, चेहरा कुछ खास नहीं कतई बेहुदा

एक बार ऐसा व्यक्ति,
चेहरा कुछ खास नहीं
कतई बेहुदा कपटी,
उससे सारा गाँव
परेशान था।
उसकी उपस्थिति में
जीना मुहाल था।
नये-नये ढंग की शरारत में
उसे बेहद मजा आता था।
लोगों का सिर छोड़ो,
उससे सारा गाँव 
चकराता था।
लेकिन
अचानक
एक दिन
सारा गाँव और भी डर गया।
वो जान का दुश्मन व्यक्ति 
जाने कैसे मर गया।
परन्तु
शैतान इन्सान
मर कर भी 
शैतानी कर गया।
उसने अपनी अंतिम इच्छा
वसीयत में छोड़ दी।
पूरे गाँव में,
पहले मैं पहले मैं
ऐसी होड़ थी।
कृपया मान्यवर
मेरी एक प्रार्थना सुन लें।
कोई चार तन्दुरूस्त
व्यक्ति चुन लें।
जो बारी-बारी मुझे
शमशान तक ले जायेगें,
सबसे ज्यादा 
जो जितना मुझे घसीटेगा।
सबसे बड़ा पुण्य
वही लपेटेगा।
बस फिर तो
लाश को
कभी पैर से
कभी हाथ से
पकड़ कर घसीटा जाने लगा।
ऐसा करके लोगों को
जीवन भर का आनन्द आने लगा।
इस अवसर पर
पहली बार बड़े स्तर पर
गाँव में चहल-पहल हुई।
लेकिन बात में अजीब रहस्य था
फैल गयी।
सुनकर चौकी के सोते सिपाही
गाडी़ में भरकर आये।
किसी को दी गाली
किसी पर डन्डे बरसाये।
बोले-जिन्दा तो कुछ कर नहीं सके
मरे को खींच रहे हो।
लाश को घसीटने का पौधा
सींच रहे हो।
आप लोग अपनी हँसी में,
लाश घसीटने की खुशी में।
बिल्कुल बुद्धि से मंद हो गये।
थानेदार सभी को लाया थाने
और
उस मरे आदमी की आदत से
सभी जेल में बन्द हो गये।

®राम उनिज मौर्य®
बनबसा जिला-चम्पावत. #हास्य
एक बार ऐसा व्यक्ति,
चेहरा कुछ खास नहीं
कतई बेहुदा कपटी,
उससे सारा गाँव
परेशान था।
उसकी उपस्थिति में
जीना मुहाल था।
नये-नये ढंग की शरारत में
उसे बेहद मजा आता था।
लोगों का सिर छोड़ो,
उससे सारा गाँव 
चकराता था।
लेकिन
अचानक
एक दिन
सारा गाँव और भी डर गया।
वो जान का दुश्मन व्यक्ति 
जाने कैसे मर गया।
परन्तु
शैतान इन्सान
मर कर भी 
शैतानी कर गया।
उसने अपनी अंतिम इच्छा
वसीयत में छोड़ दी।
पूरे गाँव में,
पहले मैं पहले मैं
ऐसी होड़ थी।
कृपया मान्यवर
मेरी एक प्रार्थना सुन लें।
कोई चार तन्दुरूस्त
व्यक्ति चुन लें।
जो बारी-बारी मुझे
शमशान तक ले जायेगें,
सबसे ज्यादा 
जो जितना मुझे घसीटेगा।
सबसे बड़ा पुण्य
वही लपेटेगा।
बस फिर तो
लाश को
कभी पैर से
कभी हाथ से
पकड़ कर घसीटा जाने लगा।
ऐसा करके लोगों को
जीवन भर का आनन्द आने लगा।
इस अवसर पर
पहली बार बड़े स्तर पर
गाँव में चहल-पहल हुई।
लेकिन बात में अजीब रहस्य था
फैल गयी।
सुनकर चौकी के सोते सिपाही
गाडी़ में भरकर आये।
किसी को दी गाली
किसी पर डन्डे बरसाये।
बोले-जिन्दा तो कुछ कर नहीं सके
मरे को खींच रहे हो।
लाश को घसीटने का पौधा
सींच रहे हो।
आप लोग अपनी हँसी में,
लाश घसीटने की खुशी में।
बिल्कुल बुद्धि से मंद हो गये।
थानेदार सभी को लाया थाने
और
उस मरे आदमी की आदत से
सभी जेल में बन्द हो गये।

®राम उनिज मौर्य®
बनबसा जिला-चम्पावत. #हास्य