सुन ना यार मेरे लिए दोस्ती जैसे खुदा है तू बता ना तेरे लिए क्या है मैं चाहता हूं उम्र दराज़ यूं ही दोस्ती चलती रहे मुश्किलें कितनी भी आए दोस्ती बनी रहे जिंदगी के हर सफ़र में तू साथ चल पायेगा क्या लोग तो चाहेंगे बिछड़ जाएं दो दोस्त वो बनायेंगे गलतफहमियों का दल दल तू बाहर निकल पायेगा क्या कभी भटक जाऊं राह मैं तो तू सही राह पर ला पायेगा क्या मुझे दो पल की यारी नहीं भाती दोस्त तू सारी उम्र निभा पायेगा क्या ©Nikhil Kumar #dear_friend