एक ऐसे समय में जब भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा था और स्वतंत्र की शताब्दी वर्ष के लिए लक्ष्य तय कर रहा था तब इस महान राष्ट्र की अतीत का छाप वर्तमान के रुझान और भविष्य की संभावना के तेल लेने की प्रति उत्सुकता भाव का बढ़ना स्वाभाविक और संदर्भ में लेख पत्रकार अध्यापक संजय दिवेदी का समय अनुकूल अंतरिम सरकार जाएगा उन्होंने अपनी इस हरकत से पुस्तक भारत बोधगया समय में परिचय भी अवश्य विंदू को स्पष्ट लक्ष्य संसाधन इस किताब में त्रिवेदी ने भारत की वास्तविक कल बना उसकी महान विभूतियों राष्ट्रीय को परम वैभव के लक्ष्य तक पहुंचाने की रूपरेखा से प्रेषित करने का प्रयास किया है भारत के नए समय करते हुए कहते हैं कि हमारा देश एक नया भारत का राष्ट्रीय अनुसूचित के समय वे राष्ट्रीय परियोजना को बताता प्रभारी पश्चिमी अवधारणा के उल्टा वह भारत को एक राजनीतिक नहीं आप उसे संस्कृत अवधारणा से ओतप्रोत राते बताता है लेकिन लेखक का मानना है कि राष्ट्रीय गौरव के बढ़ने की दिशा में अग्रसर होने से पहले हम भारत की संसद एवं अवश्य विशेषताओं का वर्णन करें कि उन्हें आत्महत्या करने की आवश्यकता है ©Ek villain #भारत और भारतीयों का सार्थक विमर्श #Moon