कितनी दफा कम्बख़त लाकडाउन लगा है इसकी कहर से शायद कोई भी न बचा है, बिलखते बच्चे और व्याकुल मां के आंचल आशा की किरण लिए नंगे पैर मीलों चला है, ध्वस्त होती उम्मीद को कोशिश है जगाने की न जाने क्यूं आबरू पर ये कौन सी सजा है। फड़कती और झलकती आंखों में आंसू लिए चेहरे पर धुंधले बादल की चादर चढ़ा है।। ©Shilpa yadav #lockdown2021 #lockdown2021 Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"