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वो जानती थी कि वो टूट जाएगी फिर भी वो साथ तुम्हार

वो जानती थी कि वो टूट जाएगी 
फिर भी वो साथ तुम्हारा देना चाहती थी 
बूँद सी थी तुम से मिल कर सागर सा होना चाहती थी 
क्या बिखेर देना इतना भी जरूरी था 
पंख तो थे उसके पास बस तुम्हारे हौसले को सजोना चाहती थी 
क्या इतना भी जरूरी था उसे तोड़ना 
आखिर क्यूँ तुम ये नहीँ समझ सके 
की साहिल पे बैठ नाम तुम्हारा 
लहरों से बचाना चाहती थी वो 
कमजोर नहीँ थी वो बस
तुम्हें करीब रखने के लिये
टूटा सा दिखना भी मंजूर था उसे । #loosingself
वो जानती थी कि वो टूट जाएगी 
फिर भी वो साथ तुम्हारा देना चाहती थी 
बूँद सी थी तुम से मिल कर सागर सा होना चाहती थी 
क्या बिखेर देना इतना भी जरूरी था 
पंख तो थे उसके पास बस तुम्हारे हौसले को सजोना चाहती थी 
क्या इतना भी जरूरी था उसे तोड़ना 
आखिर क्यूँ तुम ये नहीँ समझ सके 
की साहिल पे बैठ नाम तुम्हारा 
लहरों से बचाना चाहती थी वो 
कमजोर नहीँ थी वो बस
तुम्हें करीब रखने के लिये
टूटा सा दिखना भी मंजूर था उसे । #loosingself