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रक्षा कवच जिस प्रकार ठंड से रक्षा के लिए गर्म कपड़

रक्षा कवच जिस प्रकार ठंड से रक्षा के लिए गर्म कपड़े की आवश्यकता होती है उसके अभाव में हमारा स्वयं है प्रभावित हो जाता है उसी प्रकार से इस अमूल्य मानव जीवन की सुरक्षा एवं सार्थकता के लिए ईश्वर के आसरे की आवश्यकता जन जन के लिए महत्वपूर्ण ही नहीं अनिवार्य भी है भगवान का असर यह इस दुर्बल जीवन के लिए सबसे बड़ा रक्षा कवच है प्रभु के आश्चर्य का अर्थ है प्रभु की भक्ति से जुड़ना इसके बिना अध्यात्मिक उन्नति उत्थान जीवन का विकास और कल्याण सादगी है प्रभु की भक्ति सिर्फ उनका असली भक्त ही करता है उस संसार में नहीं सिर्फ अपने आराधना पर विश्वास होता है भगवान उसकी श्रद्धा विश्वास और समर्पण के प्रबल भावना को देखकर उसकी सुरक्षा की जिम्मेवारी स्वयं संभालते हैं भक्त सबका सहारा छोड़कर सिर्फ उन्हीं ही अपना सहारा बनाता है क्योंकि उसे अज्ञात होता है कि सांसारिक प्रेम और रिश्ते अस्थाई और अनावश्यक जबकि प्रभु का आशीर्वाद आधिकारिक स्थाई सत्य और शाश्वत है प्रभु से जो जितना प्रेम करता है उससे उनका उतना ही स्नेह और कृपया प्राप्त होती है असली भक्तों का जीवन प्रभु के लिए समर्पित होता है इसलिए उसे प्रभु की पूर्णता संरक्षण प्राप्त होता है वह अपने सहयोग सिर्फ प्रभु को चुन लिया होता है इसलिए प्रभु भी उस अपने हृदय में बसा लेते हैं भक्ति का तात्पर्य है अपने आराध्य से प्रेम करना उन्हें प्राप्त करने के लिए वासना कामना लोगों और अहंकार का प्रभु के चरणों में अपना सब कुछ निछावर कर देना तभी तो प्रभु भक्तों में स्वयं सम्मानित हो जाते हैं पर भक्ति कोई गौरव और वही गरिमा को ऊंचा दर्जा प्राप्त कर देते हैं इसी कारण भक्त और प्रभु के बीच की दूरी भी समाप्त हो जाती है भगवान अपने भक्तों को अपनी शक्ति का दान देकर उसे अपनी तरफ संघ शक्ति संपन्न ज्ञानी एक समर्थक प्रदान कर देते हैं प्रभु का आश्चर्य भक्ति के लिए रक्षा कवच बन जाता है

©Ek villain #Raksabandhan 

#FlutePlayer
रक्षा कवच जिस प्रकार ठंड से रक्षा के लिए गर्म कपड़े की आवश्यकता होती है उसके अभाव में हमारा स्वयं है प्रभावित हो जाता है उसी प्रकार से इस अमूल्य मानव जीवन की सुरक्षा एवं सार्थकता के लिए ईश्वर के आसरे की आवश्यकता जन जन के लिए महत्वपूर्ण ही नहीं अनिवार्य भी है भगवान का असर यह इस दुर्बल जीवन के लिए सबसे बड़ा रक्षा कवच है प्रभु के आश्चर्य का अर्थ है प्रभु की भक्ति से जुड़ना इसके बिना अध्यात्मिक उन्नति उत्थान जीवन का विकास और कल्याण सादगी है प्रभु की भक्ति सिर्फ उनका असली भक्त ही करता है उस संसार में नहीं सिर्फ अपने आराधना पर विश्वास होता है भगवान उसकी श्रद्धा विश्वास और समर्पण के प्रबल भावना को देखकर उसकी सुरक्षा की जिम्मेवारी स्वयं संभालते हैं भक्त सबका सहारा छोड़कर सिर्फ उन्हीं ही अपना सहारा बनाता है क्योंकि उसे अज्ञात होता है कि सांसारिक प्रेम और रिश्ते अस्थाई और अनावश्यक जबकि प्रभु का आशीर्वाद आधिकारिक स्थाई सत्य और शाश्वत है प्रभु से जो जितना प्रेम करता है उससे उनका उतना ही स्नेह और कृपया प्राप्त होती है असली भक्तों का जीवन प्रभु के लिए समर्पित होता है इसलिए उसे प्रभु की पूर्णता संरक्षण प्राप्त होता है वह अपने सहयोग सिर्फ प्रभु को चुन लिया होता है इसलिए प्रभु भी उस अपने हृदय में बसा लेते हैं भक्ति का तात्पर्य है अपने आराध्य से प्रेम करना उन्हें प्राप्त करने के लिए वासना कामना लोगों और अहंकार का प्रभु के चरणों में अपना सब कुछ निछावर कर देना तभी तो प्रभु भक्तों में स्वयं सम्मानित हो जाते हैं पर भक्ति कोई गौरव और वही गरिमा को ऊंचा दर्जा प्राप्त कर देते हैं इसी कारण भक्त और प्रभु के बीच की दूरी भी समाप्त हो जाती है भगवान अपने भक्तों को अपनी शक्ति का दान देकर उसे अपनी तरफ संघ शक्ति संपन्न ज्ञानी एक समर्थक प्रदान कर देते हैं प्रभु का आश्चर्य भक्ति के लिए रक्षा कवच बन जाता है

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