बिन तुम्हारे फिर कहो प्राण क्या पाते जी भी लेते मगर अभिमान क्या पाते कह रहा फिर बादलों का मधुर गीत मन से न मिट पायेगा वो अमर प्रीत जो कि जग को छोड़ कर मिल जाते प्यार पा भी लेते प्रिये मान क्या पाते फिर वही तम पुराना घेरता मुझको चेतना का द्वंद बन के फेरता मुझको गिन रहा हूँ उँगलियों में उम्र के बरस दान की ज़िंदगी में जयगान क्या पाते #NojotoQuote प्राण क्या पाते