मर तो हम तभी जाते हैं जब तकलीफ़ हमें दूसरों से मिलती हैं और सजा हम खुद को देने लगते हैं.. (ऐसे व्यक्ति जितना भावुक होते हैं परिस्थितियां उन्हें समय के साथ उतना ही कठोर बना देती हैं या स्वयं के हाथों उनका जीवन समाप्त कर देती हैं.. इस मनोभाव के लोगों को प्रेम से समझा जा सकता है, घरेलू राजनीति से तो सिर्फ़ मानसिक अस्वस्थता ही प्राप्त होगी) ✍️श्वेता गुप्ता #ShwetaGupta #JusticeForNikitaTomar