जग कहता है बुरी मुहब्बत पर मेरे सिर चढ़ी मुहब्बत, बस चंद सिक्कों की खातिर यूं बीच राह पड़ी मोहब्बत।। कहा था लौट कर आता हूं इंतजार में है खड़ी मोहब्बत।। तेरे साथ चलने की चाहत में जमाने भर से लड़ी मोहब्बत।। मौत खड़ी है मेरे दरवाजे पर तेरे दीदार को अडी मोहब्बत।। कहीं ये समय थम तो न गया बारहा देखती ये घड़ी मोहब्बत।। जग कहता है बुरी मोहब्बत पर मेरे सिर चढ़ी मोहब्बत।। "शील साहब" #मुहब्बत #